अपना तनख्वाह को कैलकुलेट करने के लिए नीचे बॉक्स में मांगे गए सभी जानकारी डालें और फिर Calculate का बटन दबाकर ये चेक करें कि आपको घंटे में कितना सैलरी मिलता है, रोज का कितना सैलरी मिलता है, वीकली एवं मंथली और पूरा साल का कितना सैलरी मिलता है।
Unadjusted (INR) | Holidays & vacation days adjusted (INR) | |
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Hourly | ||
Daily | ||
Weekly | ||
Bi-weekly | ||
Semi-monthly | ||
Monthly | ||
Quarterly | ||
Annual |
जब कर्मचारी लगातार पूरा हफ्ता या पूरा महीना अपना ड्यूटी पूरा करते हैं तब उनको हफ्ते या फिर महीने का सैलरी मिलती है कई बार ये सैलरी फिक्स होती है और कई बार कम या ज्यादा काम के आधार पर भी हो सकती है, जब किसी कर्मचारी को काम पर रखा जाता है तभी उनसे हस्ताक्षर ले लिया जाता है कि उनके रोजगार के अनुबंध में वार्षिक आंकड़े के रूप में परिभाषित किया जाएगा। लगभग सभी कंपनियों या संस्थानों में कर्मचारियों को सैलरी के अलावा भी कुछ ना कुछ दिया जाता है जैसे बोनस या किसी न किसी त्योहार पर गिफ्ट इत्यादि।
मजदूरी और वेतन ये सुनने में एक जैसा लगता है लेकिन इसे दो तरह से देखा जा सकता है जब एक मजदूर मजदूरी करता है और वो अपना पैसा रोज के रोज लेता जाता है तो इसे मजदूरी कहा जा सकता है लेकिन वेतन को महीना या फिर वार्षिक के रूप में देखा जा सकता है जैसे कंपनी में जब कर्मचारी पूरा एक महीना काम करके पैसा लेता है या पूरा 1 साल तक काम करके अपना हिसाब लेता है तो इसे वेतन कहा जा सकता है।
वेतन के अलावा ओवरटाइम भी होता है वैसे देखा जाए तो ये दोनों शब्द एक ही जैसे लगते हैं लेकिन एक है नहीं क्योंकि कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन का रेट अलग होता है लेकिन वही कंपनी में अतिरिक्त काम करके ओवरटाइम करते हैं तो फिर उसका प्रति घंटा रेट बढ़ सकता है। अमेरिका में एक एक्ट है FLSA इसके अधीन में कर्मचारियों को जो कि गैर छुट वाले होते हैं अगर वो सप्ताह में 40 घंटा से भी ज्यादा काम कर लेते हैं तो फिर हर घंटे के लिए उनका वेतन का 1.5 गुना ज्यादा पैसा मिलता है और इसे ओवर टाइम वेतन भी कहा जा सकता है। ये भी देखा गया है कि जब ऐसे कर्मचारी छुट्टी के दिनों में भी छुट्टी ना मना कर काम करते हैं तो फिर उनको दो गुना या फिर तीन गुना पैसा भी मिलता है।
जब वेतन की बातें आती है कि मेरा वेतन कितना होना चाहिए तो इस स्थिति में जो मजदूर लोग होते हैं वो तो अपने ठेकेदार या मालिक से ये तय कर लेते हैं कि मुझे प्रतिदिन का इतना पैसा मिलना चाहिए लेकिन जो पढ़े-लिखे होते हैं और बड़ी-बड़ी कंपनियों में लगते हैं वो इस बारे में ज्यादातर पूछ नहीं पाते हैं क्योंकि नौकरी के लिए बहुत ज्यादा कंपटीशन होता है और उनको कई सारे इंटरव्यू से गुजरना होता है इस भाग दौड़ में वेतन कितना है ये जानना लोग जरूरी नहीं समझते हैं और टर्म्स एंड कंडीशन वाले कागज पर सिग्नेचर कर देते हैं क्योंकि उनको जल्दी से जल्दी नौकरी चाहिए होता है।
एक कर्मचारी या मजदूर की मजदूरी कितनी होनी चाहिए ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप केंद्र सरकार के अंडर में काम करते हैं या फिर अपने राज्य सरकार के अंडर में, जो भी कर्मचारी या मजदूर केंद्र सरकार के अंडर में काम करते हैं उनको केंद्र सरकार वाला न्यूनतम वेतन मिलता है और जो लोग राज्य सरकार के अंडर में काम करते हैं उनको राज्य सरकार के न्यूनतम वेतन जो तय किया गया होता है वो मिलता है।
एक मजदूर के साथ में उनका पत्नी एवं दो बच्चों को लिया जाता है और फिर इनके लिए रोटी कपड़ा और मकान के खर्चे के आधार पर कम से कम वेतन तय किया जाता है उसी को न्यूनतम वेतन कहते हैं। और इसे केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए तय करते हैं एवं राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों के लिए तय करती है। इस काम के लिए एक त्रिपक्षीय कमेटी बनाया जाता है जिसे न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति के नाम से जाना जाता है न्यूनतम वेतन अधिनियम के हिसाब से ही वेतन तय किया जाता है। साल में दो बार महंगाई भत्ता के हिसाब से मजदूरी बढ़ाई जाती है।