Pregnancy Calculator गर्भवती महिलाओं के गर्भधारण का अनुमान Due Date, Last Period Date, Ultrasound Date, Conception Date, और IVF Transfer Date के आधार पर लगाने वाला Online Tool है
गर्भावस्था एक ऐसा स्थिति होता है जब महिला एक या एक से अधिक बच्चे को अपने गर्भ में धारण करती है और उसका विकास होना शुरू होता है जैसे ही महिला अपने गर्भ के अंदर बच्चे को धारण कर लेती है तो इसी अवस्था को गर्भावस्था कहा जाता है। जब महिला गर्भधारण कर लेती है तो उसके 38 से लेकर 40 सप्ताह के बाद उस महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होता है और फिर वो बच्चे को जन्म देती है इन समय में कम या ज्यादा भी हो सकता है।
ध्यान देने वाली बात ये है कि जब महिला गर्भधारण कर लेती है तो उसके बाद मासिक धर्म का आना बंद हो जाता है लेकिन ये भी ध्यान रखना चाहिए कि कई बार मासिक धर्म शरीर में किसी कमी के वजह से भी बंद हो सकता है ये जरूरी नहीं है कि मासिक धर्म बंद हो गया तो महिला गर्भधारण कर चुकी है इसके लिए आप प्रेगनेंसी टेस्ट करें या अपने डॉक्टर से मिलें।
WHO के अनुसार अगर गर्भावस्था सामान्य है तो फिर 37 से लेकर 42 सप्ताह के बाद प्रसव पीड़ा हो सकती है या बिना प्रसव पीड़ा के भी महिला बच्चे को जन्म दे सकती है डिलीवरी सामान्य हो या ऑपरेशन से हो ये डॉक्टर तय करते हैं। जब आपका पहला OB-GYN होता है तो डॉक्टर से मिलने पर वो सोनोग्राम की सहायता से एक अनुमानित तारीख बताते हैं की बच्चे का जन्म कौन सा महीना या दिन में होगा। इसके अलावा महिला के आखिरी पीरियड के बाद सप्ताह को जोड़कर डिलीवरी होने का समय निकाला जा सकता है।
गर्भावस्था का पता लगाने के लिए ज्यादातर लोग मिस पीरियड को लक्षण मानते हैं यानी किसी महीना अगर माहवारी नहीं आई तो माना जाता है कि महिला गर्भवती है और जैसे ही आपको पता चले कि इस बार महावारी तय तारीख तक नहीं आई तो फिर उसके बाद 7 से 10 दिन के बाद आप प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं या डॉक्टर से मिल सकते हैं लेकिन कई बार ये लक्षण फेल भी हो सकता है क्योंकि कुछ दूसरे कारणों से भी पीरियड मिस हो सकता है।
महिला प्रेग्नेंट है या नहीं इसके लिए डॉक्टर एक तरह का ब्लड टेस्ट करते हैं जिसका नाम है Serum Beta HCG Test इसके अलावा एक सोनोग्राफी भी होती है और इन दोनों टेस्ट के जरिए ये कंफर्म हो जाता है कि महिला प्रेग्नेंट है या नहीं। अगर लक्षण की बात करें तो प्रेग्नेंट महिलाओं का जी मचलना या उल्टी होने का शिकायत भी होता रहता है और यह इसलिए होते हैं क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोन में बदलाव होता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में Estrogen, Progesterone और HCG जैसे हार्मोन का स्तर आवश्यकता से अधिक होता है इसलिए महिलाओं को जी मचलना या उल्टी होने का शिकायत हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान ही Food Crawing यानी एक विशिष्ट तरह के खाद्य पदार्थ के लिए आकर्षित होना देखा गया है इसके अलावा प्रोजेस्टर नामक हारमोंस के बढ़ जाने से पाचन क्रिया धीमा होता है और गर्भवती महिलाओं को कब्ज का शिकायत भी होता है।
महिला के गर्भवती होने का एक लक्षण बार-बार पेशाब करने जाना भी हो सकता है इसके अलावा शरीर का तापमान बढ़ता ब्रेस्ट के आकार में बदलाव होना एवं निप्पल का कलर चेंज होना भी प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकता है इसके साथ ही कई बार महिलाओं को रोने का भी मन करता है एवं गुस्सा भी आता है ये सभी लक्षण शरीर में हार्मोनन बदलाव के वजह से होते हैं।
प्रेगनेंसी के पहला महीना में मां के गर्भ में बच्चे का साइज एक इंच के चौथाई अंश बराबर यानी लगभग 6 से 7 मिली मीटर जितना साइज होता है और 2 महीना हो जाने के बाद बच्चे का साइज 22-23mm हो पाता है। डॉक्टर के अनुसार प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को पपीता एवं पाइनएप्पल नहीं खाना चाहिए क्योंकि इन फलों में कुछ ऐसे एंजाइम्स होते हैं जिसके वजह से Abortion होने का खतरा बढ़ सकता है।
इसके अलावा आपको अपने भोजन में चाय कॉफी चॉकलेट कोला इत्यादि से भी बचना है स्मोकिंग और अल्कोहल से भी बच के रहना है। कहां जाता है की प्रेगनेंसी के दौरान हमें अश्लील दृश्यों से भी बचना चाहिए और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना काफी लाभकारी होता है लेकिन एक्सरसाइज कौन-कौन से करना है इसके लिए आप अपने ट्रेनर से जरूर मिले।
गर्भवती महिलाओं को शुरुआती के 3 महीने तक ज्यादा ध्यान रखना होता है इस बीच उन्हें हरी सब्जियां एवं फल ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए और खाना एक बार ज्यादा न खाकर थोड़ा-थोड़ा करके बार-बार खाने की सलाह दी जाती है ऐसा करने से अपच एवं गैस में राहत मिलता है और थोड़ा-थोड़ा करके खाने से खाना अच्छी तरह से पच जाता है।
डॉक्टर के द्वारा गर्भवती महिलाओं को दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है जैसे दूध, दही, छाछ, पनीर इत्यादि। पानी एवं तरल पेय का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना होता है जैसे दाल, जूस, सूप इत्यादि इसके अलावा सूखा मेवा या ड्राई फ्रूट्स भी लेना चाहिए लेकिन इनका मात्रा कम होना चाहिए क्योंकि ये कब्ज और एसिडिटी का निर्माण कर सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं को कैलोरी ज्यादा लेना चाहिए, डॉक्टर के अनुसार एक गर्भवती महिला को 300 कैलोरी ज्यादा लेना चाहिए लेकिन होता ये है कि दो से तीन महीना के अंदर महिलाओं को खाना खा पाना मुश्किल होता है फिर भी उन्हें कोशिश करते रहना चाहिए और थोड़ा-थोड़ा करके बार-बार खाते रहना चाहिए।
प्रेगनेंसी में शुरुआती के दो से तीन महीना बाइक पर नहीं घूमना चाहिए क्योंकि बाइक पर घूमने से ब्रेकर या उबड़ खाबर रोड में लगने वाले झटका गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायक हो सकता है इसके अलावा चार पहिया वाहन पर भी ज्यादा घूमने से बचना चाहिए इस दौरान बहुत नाजुक स्थिति होती है और जरा भी गलती से बच्चे को नुकसान हो सकता है।
डॉक्टर का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को शुरुआती दिनों में X Ray से बचना चाहिए क्योंकि इसके नुकसानदायक किरण बच्चों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है यहां तक की जहां पर एक्स-रे हो रहा है उसके आसपास भी खड़ा नहीं होना चाहिए।
कई बार महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान अन्य छोटी मोटी बीमारियां भी होती है जैसे खांसी, जुकाम, बुखार, कब्ज, गैस एसिडिटी इत्यादि तो ऐसे में कई बार महिलाएं स्वयं से ही मेडिकल स्टोर से दवाई लेकर खाना शुरू कर देती है लेकिन गर्भवती महिलाओं को ऐसा नहीं करना चाहिए उन्हें अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि डॉक्टर उसी हिसाब से दवाएं देते हैं ताकि छोटी-मोटी बीमारियां भी ठीक हो जाए और पेट में पल रहे बच्चे का भी नुकसान न होने पावें।
गर्भवती महिलाओं को अपने फिटनेस ट्रेनर से सलाह लेकर उचित एक्सरसाइज करना जरूरी होता है ताकि आपके शरीर में खून का संचार सही से हो सके एवं पूरा शरीर फिट रह सके।
प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनो में महिलाओं को फोलिक एसिड लेने का सलाह डॉक्टर के द्वारा मिलता है क्योंकि फोलिक एसिड एक तरह का विटामिन होता है और बच्चों में जन्मजात कमियां को दूर करता है डॉक्टर के द्वारा लगभग सभी महिलाओं को 400 लाईकोग्राम या .4mg का टेबलेट फोलिक एसिड दिया जाता है और ये गर्भधारण के शुरुआती 3 महीने तक देना जरूरी बताया जाता है।
जब महिलाओं को गर्भधारण किये हुए एक महीना हो जाता है तब उनको इसका पता चलता है इसलिए फोलिक एसिड को गर्भधारण के एक-दो महीना पहले से ही दिया जा सकता है। इसके अलावा जिन महिलाओं में हारमोनन इन बैलेंस चल रहा होता है उनको डॉक्टर के द्वारा कुछ सप्लीमेंट भी दिया जाता है।